रहो में मुश्किलें तो, बहुत आई
पर उम्मीद थी की तुम साथ हो,
मंज़िल बहुत दूर थी ,मगर
विश्वास था, की तुम पास हो,
कई जंग में फतह पाई
मंज़िल के और पास आई
था एक एहसास की तुम पास हो,
राह में ठोकर खाई
थोड़ा मैं लड़खड़ाई
ज़माने ने तंज कसे
पर मैं न घबराई
संभालने के लिए तुम साथ हो।
उम्मीदों पे दुनिया कायम है ,
उम्मीदों की उम्मीद तुम हो
जीवन के अँधेरे में रौशनी की किरण आई
है एक उम्मीद की तुम साथ हो।
-DIKSHITA PRIYADARSHINI

Amazinnggg😆😆😆
ReplyDeleteMast hai
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